उदयपुर अरावली की हरित सुरम्य उपत्याकायों के मध्य स्थित है। इसकी स्थापना मेवाड़ के 56वें महाराणा श्री उदय सिंह जी ने 1559 में की थी। धीरे-धीरे विकसित वर्तमान उदयपुर पर्यटको एवं प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग माना जाता है । पहाड़ियों के मध्य प्राकृतिक परिवेश होने तथा नैसर्गिक सौंदर्य एवं मनोहारी झीलों के कारण पूर्व का वेनिस झीलों की नगरी और पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाता है ।
यहां की विशिष्ट साहित्यिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण इसे राजस्थान का कश्मीर होने का भी गौरव प्राप्त है। यह राजस्थान का ही नहीं अपितु राष्ट्र का प्रमुख पर्यटन केंद्र है और विश्व के मानचित्र पर अंकित है।
नगर निगम उदयपुर नगर के हृदय स्थल पर स्वच्छ एवम् सुंदर वातावरण मे स्तिथ है । नगर निगम इतिहास पर रोशनी किया जाए तो पहले नगरपालिका मंडल की स्थापना दिसंबर 1922 मे मेवाड़ प्रशासन द्वारा की गई थी । इसके समस्त सदस्य मनोनीत किए जाते थे जुलाई 1948 को यहाँ नगर निगम का गठन किया गया है । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राजस्थान की नगरपालिकाओं मे एकरूपता लाने के लिए 13 अक्टूबर 1959 मे लोकतांत्रिक आधार पर नगर परिषद गठित की गई । 17 अक्टूबर 1973 से 25 नवंबर 1994 तक चुनाव के आभाव मे प्रशासन की व्यवस्था थी । 29 नवंबर को पुनः जनप्रतिनिधियों के बोर्ड का चयन हुआ ।